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नज़्म
किस की बातों में सुनूँगी तेरे लहजे की खनक
किस सितारे में बसेगी तेरी आँखों की चमक
शहनाज़ परवीन शाज़ी
नज़्म
मैं हूँ शायर मेहरबाँ है मुझ पे ख़ल्लाक़-ए-अज़ल
पेश करनी है मुझे महफ़िल में इक ताज़ा ग़ज़ल
खालिद इरफ़ान
नज़्म
अमीर औरंगाबादी
नज़्म
ख़ल्लाक़-ए-दो-'आलम का किया ज़िक्र-ओ-तसव्वुर
क्या ख़ूब 'इलाज-ए-ग़म-ए-जाँ हम ने किया है