आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "KHudaa-e-saut-o-sadaa"
नज़्म के संबंधित परिणाम "KHudaa-e-saut-o-sadaa"
नज़्म
सईद अहमद
नज़्म
सिलसिला हर्फ़-ओ-नग़्मा का, सौत-ओ-सदा का मिलाते रहे
और फिर यास-ओ-उम्मीद के दरमियाँ
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
किया क्या ऐ सदा तू ने बता आ कर ज़माने में
गुज़ारी ज़िंदगी सारी फ़क़त पीने-पिलाने में
सदा अम्बालवी
नज़्म
यूँ फ़ज़ाओं में रवाँ है ये सदा-ए-दिल-नशीं
ज़ेहन-ए-शाइर में हो जैसे इक अछूता सा ख़याल
इब्न-ए-सफ़ी
नज़्म
और हर लफ़्ज़ को दूसरे लफ़्ज़ से जोड़ कर
सिलसिला हर्फ़-ओ-नग़्मा का सौत-ओ-सदा का मिलाते रहे