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नज़्म
शब-ए-एशिया के अँधेरे में सर-ए-राह जिस की थी रौशनी
वो गौहर किसी ने छुपा लिया वो दिया किसी ने बुझा दिया
नुशूर वाहिदी
नज़्म
मशरिक़ का दिया गुल होता है मग़रिब पे सियाही छाती है
हर दिल सन सा हो जाता है हर साँस की लौ थर्राती है
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
मक़ाम-ए-अज़्मत-ए-इंसाँ को तू ने फ़ाश किया
जुमूद-बस्ता ग़ुलामी को पाश-पाश किया
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
सिमटते फैलते पैहम सुलगते और धुँदलाते
उफ़ुक़ जब पै-ब-पै उभरें उफ़ुक़ जब पय ब पय डूबें
शफ़ीक़ फातिमा शेरा
नज़्म
सिमटते फैलते पैहम सुलगते और धुँदलाते
उफ़ुक़ जब पै-ब-पै उभरें उफ़ुक़ जब पै-ब-पै डूबें