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नज़्म
ला कहीं से ढूँढ़ कर अस्लाफ़ का क़ल्ब-ओ-जिगर
ऐ कि न-शिनासी ख़फ़ी रा अज़ जली हुशियार बाश
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
क्या अच्छा ख़ुश-बाश जवाँ था जाने क्यूँ बीमार हुआ
उठते बैठते मीर की बैतें पढ़ना उस का शिआर हुआ
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
ज़िंदा-बाश ऐ इंक़लाब ऐ शोला-ए-फ़ानूस-ए-हिन्द
गर्मियाँ जिस की फ़रोग़-ए-मंक़ल-ए-जाँ हो गईं
ज़फ़र अली ख़ाँ
नज़्म
यस्सू पुंजू हार कबूतर, कंचे वनचे, ताश
जीतने वाले नालाँ, हारने वाले थे ख़ुश-बाश
इलियास बाबर आवान
नज़्म
फ़र्ज़ करो ये जोग बजोग का हम ने ढोंग रचाया हो
फ़र्ज़ करो बस यही हक़ीक़त बाक़ी सब कुछ माया हो
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
है अहल-ए-दिल के लिए अब ये नज़्म-ए-बस्त-ओ-कुशाद
कि संग-ओ-ख़िश्त मुक़य्यद हैं और सग आज़ाद
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
बढ़ रही हैं गोद फैलाए हुए रुस्वाइयाँ
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ