आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bakhaa.ii"
नज़्म के संबंधित परिणाम "bakhaa.ii"
नज़्म
क़ौम मज़हब से है मज़हब जो नहीं तुम भी नहीं
जज़्ब-ए-बाहम जो नहीं महफ़िल-ए-अंजुम भी नहीं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
बद-हाल घरों की बद-हाली बढ़ते बढ़ते जंजाल बनी
महँगाई बढ़ कर काल बनी सारी बस्ती कंगाल बनी
साहिर लुधियानवी
नज़्म
नील के साहिल से ले कर ता-ब-ख़ाक-ए-काश्ग़र
जो करेगा इम्तियाज़-ए-रंग-ओ-ख़ूँ मिट जाएगा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कौन तुम से छीन सकता है मुझे क्या वहम है
ख़ुद ज़ुलेख़ा से भी तो दामन बचा सकता हूँ मैं