aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "daf.atan"
दफ़अ'तन इज़्न-ए-सफ़र पर ख़लक़ हैराँ हो गईज़िंदगी भी एक लम्हा को परेशाँ हो गई
दफ़अतन गूँजी सदा फिर आलम-ए-अनवार मेंऔरतें दुनिया की हाज़िर हों मिरे दरबार में
आज क्यूँ तुम मुझे देखे ही चले जाते हो?दफ़अतन टूट गया किस लिए बजता हुआ साज़
ख़ुद न देख पाई हो!दफ़अतन ये दिल चाहा
दफ़अतन सैल-ए-ज़ुल्मात को चीरताजल उठा दूर बस्ती का पहला दिया
दफ़अतन एक सदा आह-ओ-फ़ुग़ाँ की आईमेरे अल्लाह ये घड़ी किस पे मुसीबत लाई
खड़े हो गए एक दुक्काँ पे आ करनज़र मिल गई दफ़अतन इक नज़र से
क़ुफ़्ल-ए-बाब-ए-शौक़ थीं माहौल की ख़ामोशियाँदफ़अतन काफ़िर पपीहा बोल उठा अब क्या करूँ
क्यूँ दफ़अ'तन लबों पे ख़मोशी सी छा गईइस साज़-ए-दिल-नशीं की सदा कौन ले गया
दफ़अतन पाँव पे बेगम के गिरा और ये कहातू अगर कुश्ता शुदी आह चे मी कर्दम मन
दफ़अ'तन चमकी हक़ीक़त की तजल्ली सामनेमेहनत-ए-पैहम से राज़-ए-ज़िंदगानी मिल गया
ऐन हंगाम-ए-तरब रूह-ए-तरब थर्रा गईदफ़अतन दिल के उफ़ुक़ पर इक घटा सी छा गई
बूढ़े ग़रीब बाप के मरने पे दफ़अतनबेटे ने सोचा कैसे करूँ दफ़्न और कफ़न
दफ़अतन एक धमाके के साथकच्चे धागों के सिरे छूट गए
दफ़अतन हज़ारों बहारें जाग पड़ींगुलाबी पंखुड़ियाँ बरसने लगीं
दफ़अतन दूर.....! दूर..... आँख से दूरशफ़क़-ए-शाम की सियाही में
मौत की दुल्हन को तुमदफ़अतन ये होता है
कि दफ़अ'तन मुतहर्रिक हुए लब-ए-तख़्लीक़पकड़ ली सूरत-ए-ज़ाहिर वजूद की मैं ने
ख़्वाब या कि अफ़्सानादफ़अ'तन उठी इक चीख़
दफ़अतन दूर जूँही शाम ढले दीप जलेकोई बिखरी हुई ज़ुल्फ़ों को झटक कर बोला
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