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नज़्म
जो सवाल इमपोरटेंट आता है हर इक बाब में
ग़ौर से देखा है उस को दिन-दहाड़े ख़्वाब में
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
गो तसव्वुर के भयानक जंगलों में दिन-दहाड़े
अन-गिनत ग़म की चुड़ैलें ज़हर की घमसान खेती
बिमल कृष्ण अश्क
नज़्म
फ़ाक़ों की चिताओं पर जिस दिन इंसाँ न जलाए जाएँगे
सीनों के दहकते दोज़ख़ में अरमाँ न जलाए जाएँगे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
सीने के दहकते दोज़ख़ में अरमाँ न जलाए जाएँगे
ये नरक से भी गंदी दुनिया जब स्वर्ग बताई जाएगी
साहिर लुधियानवी
नज़्म
दयार-ए-शर्क़ की आबादियों के ऊँचे टीलों पर
कभी आमों के बाग़ों में कभी खेतों की मेंडों पर
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
पर्दा-ए-मशरिक़ से जिस दम जल्वा-गर होती है सुब्ह
दाग़ शब का दामन-ए-आफ़ाक़ से धोती है सुब्ह
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
आमिर उस्मानी
नज़्म
इक ऐसा ख़्वाब जिस के दामन-ए-सद-चाक में कोई मुबारक कोई रौशन दिन नहीं था
अभी कुछ दिन लगेंगे