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नज़्म
साज़ बजते हैं मोहब्बत के दरून-ए-महफ़िल
तू दर-ए-यार के दरबाँ की शक़ावत को न देख
सफ़दर आह सीतापुरी
नज़्म
फीका है जिस के सामने अक्स-ए-जमाल-ए-यार
अज़्म-ए-जवाँ को मैं ने वो ग़ाज़ा अता किया
आल-ए-अहमद सुरूर
नज़्म
ये कस दयार-ए-अदम में मुक़ीम हैं हम तुम
जहाँ पे मुज़्दा-ए-दीदार-ए-हुस्न-ए-यार तो क्या
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ख़ुश हूँ फ़िराक़-ए-क़ामत-ओ-रुख़्सार-ए-यार से
सर्व-ओ-गुल-ओ-समन से नज़र को सताएँ हम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
आज भी है जुनूँ मिरा दैर-ओ-हरम पे ख़ंदा-ज़न
आज भी मुझ से बद-हवास दैर-ओ-हरम के पासबाँ