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नज़्म
'आफ़्ताब' अग़्यार के ज़ुल्म-ओ-सितम का ख़ौफ़ क्या
ईश्वर की दिल-जलों पर मेहरबानी चाहिए
बाबू मुर्ली धर
नज़्म
आज दिल खोल के तुम ज़ुल्म-ओ-सितम कर डालो
फिर चलाओगे कहाँ तेग़-ए-जफ़ा मेरे बा'द
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
सुना है रास्ते ही में पुलिस ने धर लिया उन को
हमारे दिल पे जब करने को वो मश्क़-ए-सितम निकले
ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी
नज़्म
वही क़िस्सा मिरे दिल का
दिल-ए-वहशत-ज़दा पर बादलों की तरह उस उमड़े हुए बे-नाम मौसम का
मोईन निज़ामी
नज़्म
हुस्न-ओ-तक़्दीस की दिलचस्प हिकायत पढ़ कर
धुन रहा है दिल-ए-हैरत-ज़दा सर आज की रात
क़ाज़ी गुलाम मोहम्मद
नज़्म
कितना दर्द-आमेज़ था नग़्मा दिल-ए-नाशाद का
तीर तरकश में तड़प उट्ठा सितम ईजाद का
राज्य बहादुर सकसेना औज
नज़्म
हर शाम यहाँ शाम-ए-वीराँ आसेब-ज़दा रस्ते गलियाँ
जिस शहर की धुन में निकले थे वो शहर दिल-ए-बर्बाद कहाँ