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नज़्म
बूढ़ा पनवाड़ी उस के बालों में माँग है न्यारी
आँखों में जीवन की बुझती अग्नी की चिंगारी
मजीद अमजद
नज़्म
उस बैरी की ऊँची चोटी पर वो सूखा तन्हा पत्ता
जिस की हस्ती का बैरी है पतझड़ की रुत का हर झोंका
मजीद अमजद
नज़्म
हाँ देखा कल हम ने उस को देखने का जिसे अरमाँ था
वो जो अपने शहर से आगे क़र्या-ए-बाग़-ओ-बहाराँ था
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
मजीद अमजद
नज़्म
पूछ न क्या लाहौर में देखा हम ने मियाँ-'नज़ीर'
पहनें सूट अंग्रेज़ी बोलें और कहलाएँ 'मीर'