aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "fikr o nazar abul kalam aazad number magazines"
नहीं मालूम 'ज़रयून' अब तुम्हारी उम्र क्या होगीवो किन ख़्वाबों से जाने आश्ना ना-आश्ना होगी
तुम्हारी याद मिरे दिल का दाग़ है लेकिनसफ़र के वक़्त तो बे-तरह याद आती हो
सलाम ऐ उफ़ुक़-ए-हिन्द के हसीं तारोसलाम तुम पे सिपहर-ए-वतन के मह-पारो
रात दाढ़ी के अँधेरे से तकल्लुफ़ बरतेअर्श के सामने रुस्वाई की गर्दन न उठे
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