aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ishva-garo"
ये इश्वा-गरतलब की बे-ज़बानी को अता करते हैं गोयाई
न बस्ती के घरों से आश्ना गीतों की आवाज़ें सुनाई देंन परचम कोई लहराया
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाईआदम की औलाद हैं भाई
कर चुका हूँ आज अज़्म-ए-आख़िरीशाम से पहले ही कर देता था मैं
जो घर तक ले के जाती हैंकभी थीं आश्ना मुझ से
तुझ में ईश्वरअल्लह तुझ में
ख़ुदा राम है और ख़ुदा ईश्वरवो भगवान है कुल जहाँ उस का घर
क़तरा क़तरा टपक रहा है लहूलम्हा लम्हा पिघल रही है हयात
मुजस्सम इश्वा-ओ-अंदाज़ भी हैमगर औरत जहान-ए-राज़ भी है
मैं ने अपने घर की सारी खिड़कियाँ सब दरवाज़ेखोल दिए हैं
दीप से दीप जलाएँ साथीहर आँगन उजयारा कर लें
ये दीवानी सी इक लड़कीहसीं भी दिलरुबा भी है
मुन्नी बोली प्यारी आशाकितनी भोली मेरी गुड़िया
मेरा घर जहाँ मुझे अश्या-ए-सर्फ़ की तरहरहना पड़ रहा है
बाद एक मुद्दत केअजनबी से चेहरों में
तेरा और मेरा साथ आलम-ए-बर्ज़ख़ से हैआलम-ए-बर्ज़ख़ या'नी जहाँ अर्वाह इक साथ थीं
तुम्हें जब देखता हूँतो मिरी आँखों पे रंगों की फुवारें पड़ने लगती हैं
मेरे पास रातों की तारीकी मेंखिलने वाले फूल हैं
गर तअ'ल्लुक़ ही तर्क करना थामुझ से फिर प्यार क्यों किया तू ने
छोड़ आया हूँ मैं अपना छोटा सा घरतआक़ुब करता है वो अब मेरा उम्र भर
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