aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "itr-farosh"
और फ़रस हिनहिनायासवार अब सवारी पर मजबूर था
और फ़र्श पर थूक दियातब उस पर ये राज़ खुला
ख़ूब अरबी में और फ़ारसी में चलीआ के उर्दू में भी ख़ूब फूली-फली
फ़रोग़-ए-शोला कहाँ और फ़रोग़-ए-हुस्न कहाँहज़ार हैफ़ कि इतनी नहीं ख़बर तुझ को
ऐसी तरतीब में क्या मस्लहत-ए-यज़्दाँ हैअर्श और फ़र्श जहाँ सूरत-ए-हंगाम मिलें
आज भीउस के दोनों हाथ
ज़रा हट के चलोज़रा बच के चलो
जबमैं ने
जब देखो बस हेड और टेलकरते हैं जो दिन भर खेल
छन से नीचे गिरा फ़र्श परऔर बिखरा
उजली धूप में फ़र्श-ए-गियह पर रौशन और दरख़्शाँ लम्होंकी शबनम है
ये जो फ़स्ल-ए-फ़ुर्क़त-ए-अस्र हैइसे काट भी
दाएरों में चलते चलतेहम कहाँ तक आ गए
लाल पीली नीली नीली और हरीख़्वाहिशों की जाने कितनी मछलियाँ
रात भर बारिश दरीचे के क़रीबमोतिए की बेल से लिपटी हुई
सुर्ख़ उन्नाबी काले फूलख़ुश-रंग और निराले फूल
उफ़ुक़-ए-ज़ीस्त से इक और सितारा टूटाइक किरन और हुई रात की ज़ुल्मत में असीर
सुन मिरे साथी सुनघुंघरू के हैं जितने दाने
सूरज ने ये दिया पयामबाँटने आया हूँ मैं काम
सात समुंदर पार भी जाएँवहाँ से भी कुछ सीख के आएँ
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