आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kaagaa"
नज़्म के संबंधित परिणाम "kaagaa"
नज़्म
कागा के काएँ काएँ से दिल को तो आस भी हुई
पी जो कहा पपीहे ने दिल की मिरे ख़लिश बढ़ी
फ़ज़ल हक़ अज़ीमाबादी
नज़्म
रूह क्या होती है इस से उन्हें मतलब ही नहीं
वो तो बस तन के तक़ाज़ों का कहा मानते हैं
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मस्ताना हाथ में हाथ दिए ये एक कगर पर बैठे थे
यूँ शाम हुई फिर रात हुई जब सैलानी घर लौट गए
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
ये तुम ने ठीक कहा है तुम्हें मिला न करूँ
मगर मुझे ये बता दो कि क्यूँ उदास हो तुम