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नज़्म
ख़्वाबों के गुलिस्ताँ की ख़ुश-बू-ए-दिल-आरा है
या सुब्ह-ए-तमन्ना के माथे का सितारा है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
फीका है जिस के सामने अक्स-ए-जमाल-ए-यार
अज़्म-ए-जवाँ को मैं ने वो ग़ाज़ा अता किया
आल-ए-अहमद सुरूर
नज़्म
ये कस दयार-ए-अदम में मुक़ीम हैं हम तुम
जहाँ पे मुज़्दा-ए-दीदार-ए-हुस्न-ए-यार तो क्या
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
रोज़-ओ-शब मुंतज़िर-ए-दीद-ए-रुख़-ए-यार हूँ मैं
दिल है वक़्फ़-ए-ग़म-ए-आलाम कहाँ है आ जा
शकील बदायूनी
नज़्म
ख़ुश हूँ फ़िराक़-ए-क़ामत-ओ-रुख़्सार-ए-यार से
सर्व-ओ-गुल-ओ-समन से नज़र को सताएँ हम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
आज भी है लिखी हुई सुर्ख़ हुरूफ़ में 'मजाज़'
दफ़्तर-ए-शहर-ए-यार में मेरे जुनूँ की दास्ताँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ख़ुशबू-ए-जाँ-फ़ज़ा से हर जानवर मगन है
उन के रग-ए-अमल में वो जोश मौजज़न है