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नज़्म
मन के मंदिर को मुनव्वर करे नूर-ए-इस्लाम
का'बा-ए-दिल में रहे शाम-ओ-सहर राम का नाम
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
नज़्म
तमाम औराक़ शबनमिस्तान-ए-सहर की किरनों से जगमगाए
तुलूअ' होती है सुब्ह जैसे कली तमन्ना की मुस्कुराए
नुशूर वाहिदी
नज़्म
वक़्त-ए-सहर, ख़ामोश धुँदलका एक सितारा काँप रहा है
जैसे कोई बोसीदा कश्ती तूफ़ानों में डोल रही हो
रिफ़अत सरोश
नज़्म
मंज़र-ओ-मर्सिया-ओ-रज़्म-ओ-सरापा क्या क्या
न लिखा मीर-अनीस आप ने तन्हा क्या क्या