आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "maza"
नज़्म के संबंधित परिणाम "maza"
नज़्म
इलाही फिर मज़ा क्या है यहाँ दुनिया में रहने का
हयात-ए-जावेदाँ मेरी न मर्ग-ए-ना-गहाँ मेरी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
दिए दिखाते हैं ये भूली-भटकी रूहों को
मज़ा भी आता था मुझ को कुछ उन की बातों में
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
हर आन शराबें ढलती हों और ठठ हो रंग के डूबों का
इस ऐश मज़े के आलम में एक ग़ोल खड़ा महबूबों का
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
ये बीज अगर डालोगे तुम दिल से उसे पा लोगे तुम
देखोगे फिर इस का मज़ा मेहनत करो मेहनत करो
मोहम्मद हुसैन आज़ाद
नज़्म
ये कैसी लज़्ज़त से जिस्म शल हो रहा है मेरा
ये क्या मज़ा है कि जिस से है उज़्व उज़्व बोझल