aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "meem noon rashid"
हम तसव्वुफ़ के ख़राबों के मकींवक़्त के तूल-ए-अलम-नाक के पर्वार्दा हैं,
ये रात है कि हर्फ़-ओ-हुनर का ज़ियाँ-कदाइज़हार अपने-आप में मोहमल हुए तमाम
अजल, इन से मिल,कि ये सादा-दिल
ज़िंदगी से डरते हो!ज़िंदगी तो तुम भी हो ज़िंदगी तो हम भी हैं!
उस का चेहरा, उस के ख़द्द-ओ-ख़ाल याद आते नहींइक शबिस्ताँ याद है
ऐ मिरी हम-रक़्स मुझ को थाम लेज़िंदगी से भाग कर आया हूँ मैं
सोचता हूँ कि बहुत सादा-ओ-मासूम है वोमैं अभी उस को शनासा-ए-मोहब्बत न करूँ
सुलैमाँ सर-ब-ज़ानू और सबा वीराँसबा वीराँ, सबा आसेब का मस्कन
आज फिर आ ही गयाआज फिर रूह पे वो छा ही गया
तेरे बिस्तर पे मिरी जान कभीबे-कराँ रात के सन्नाटे में
एशिया के दूर-उफ़्तादा शबिस्तानों में भीमेरे ख़्वाबों का कोई रूमाँ नहीं!
लब बयाबाँ, बोसे बे-जाँकौन सी उलझन को सुलझाते हैं हम?
शहर के गोशों में हैं बिखरे हुएपा-शिकस्ता सर-बुरीदा ख़्वाब
कर चुका हूँ आज अज़्म-ए-आख़िरीशाम से पहले ही कर देता था मैं
समुंदर की तह मेंसमुंदर की संगीन तह में
हम मोहब्बत के ख़राबों के मकींवक़्त के तूल-ए-अलमनाक के पर्वर्दा हैं
''ज़माना ख़ुदा है उसे तुम बुरा मत कहो''मगर तुम नहीं देखते ज़माना फ़क़त रेस्मान-ए-ख़याल
कैसे मैं भी भूल जाऊँज़िंदगी से अपना रब्त-ए-अव्वलीं
मू-क़लम, साज़ गुल-ए-ताज़ा थिरकते पाँवबात कहने के बहाने हैं बहुत
ज़ेहन ख़ाली हैख़ला नूर से या नग़्मे से
Join us for Rekhta Gujarati Utsav | 19th Jan 2025 | Bhavnagar
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books