आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "musalman aurat ebooks"
नज़्म के संबंधित परिणाम "musalman aurat ebooks"
नज़्म
क्या कहूँ क्या गुल खिलाए हैं अबुल-बरकात ने
फ़ित्ना-आराई मुसलमानों में उस का काम है
शोरिश काश्मीरी
नज़्म
लेकिन कब से लब साकित हैं दिल की हंगामा-आराई की
बरसों से आवाज़ नहीं आई और इस मर्ग-ए-मुसलसल पर
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
अभी ये सोचता हूँ कल ख़ुदा ही जाने क्या सोचूँ
मुसलसल सोचते रहना मिरी बचपन की आदत है