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नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मदद करनी हो उस की यार की ढारस बंधाना हो
बहुत देरीना रस्तों पर किसी से मिलने जाना हो
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
ममता के होंटों पर जब चाँदी की मोहरें लगती हैं
माँ ख़ुद अपनी बेटी को कर देती है क़ुर्बान यहाँ
क़तील शिफ़ाई
नज़्म
यहाँ की घाटियों में हुस्न के चश्मे उबलते हैं
यहाँ हर चीज़ पर जज़्बात-ए-इंसानी मचलते हैं
मयकश अकबराबादी
नज़्म
जीवन के रस्ते पर बिखरे काँटे सौ सौ डंक उठाए
नफ़रत की आँधी से धुँदले पड़ गए चंदा तारे