aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "qabaa-e-amn"
खड़ा है हौसला-ए-अम्न-ओ-आश्ती ले करन कोई ख़ोद बदन पर न हाथ में शमशीर
उड़ती थी क़बा-ए-जिस्म वहींबेचैन हुई फिर रूह बहुत
मुंतज़िर है तेरी क़ुर्बां-गाह-ए-अम्न
फूटेगी सुब्ह-ए-अम्न लहू-रंग ही सही
चलो ये पूछें तबाही के काश्त-कारों सेब-नाम-ए-अम्न कहाँ तक लहू बहाओगे
लहू टपकता है गुलचीं की आस्तीनों सेक़बा-ए-लाला-ओ-गुल दाग़दार है अब भी
जदीदियत के तक़ाज़े निभा दिए लेकिनक़बा-ए-शर्म-ओ-हया तार-तार कर डाली
कभी लफ़्ज़ों के तन पर सेक़बा-ए-पुर-तकल्लुफ़ चाक करता है
जिस से बे-नूर ख़यालों पे चमक आती थीकाबा-ए-रहमत-ए-असनाम था जो मुद्दत से
ब-नाम-ए-अम्न हैं जंग-ओ-जदल के मंसूबेब-शोर-ए-अद्ल तफ़ावुत के कार-ख़ाने हैं
क़बा-ए-लैला-ए-तहज़ीब चाक कर डालीरिदा-ए-मर्यम-ए-इस्मत उतार ली मैं ने
सुना के राह-ए-मोहब्बत में नग़्मा-हा-ए-जुनूँक़बा-ए-लाला-ओ-गुल तार-तार छोड़ गया
दम-ब-दम जोश-ए-जुनूँ की सितम-आराई सेका'बा-ओ-दैर-ओ-कलीसा की जबीं-साई से
मुराद-ए-अम्न पकड़ते हैंझुकी शाख़ों के होंटों पर
धूप छाँ के रंग की है वो क़बा-ए-हस्त-ओ-बूदकार-गाह-ए-हिंद से मंसूब जिस के तार-ओ-पूद
उरूस-ए-शोला-बदन की लर्ज़ां क़बा-ए-ज़र्रींक़बा-ए-ज़र्रीं की कसमसाती गुदाज़ लहरें
आज भी काबा-ए-अरबाब-ए-नज़र है तिरी फ़िक्रविर्सा-ए-अहल-ए-जुनूँ तेरा बयाँ आज भी है
नया साल फिर आ गया दोस्तोउठो परचम-ए-अम्न ले कर उठो
कब है मग़रिब काबा-ए-हाजत-रवा तेरे लिएआ कि है बेचैन रूह-ए-एशिया तेरे लिए
तन्हाइयों की रुत में है मग़्मूम ओ मुज़्तरिबबंद-ए-क़बा-ए-शब से उलझता है बार बार
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books