aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
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परिणाम "qausain"
कहाँ क़ौसैन में लिखनाकहाँ पैरा बनाना है
दाएरे क़ौसैन सन तारीख़ आदाद ओ शुमारनुक़्ता ओ ज़ेर-ओ-ज़बर तश्दीद ओ मद
वो होंट फ़ैज़ से जिन के बहार लाला-फ़रोशबहिश्त ओ कौसर ओ तसनीम ओ सलसबील ब-दोश
नुमूद-ए-लाला-ए-ख़ुद-रौ में देखना जन्नतकरे नज़ारा-ए-कौनैन इक घरौंदे में
आती है नद्दी फ़राज़-ए-कोह से गाती हुईकौसर ओ तसनीम की मौजों को शरमाती हुई
ग़म मयस्सर है तो इस को ग़म-ए-कौनैन बनादिल हसीं है तो मोहब्बत भी हसीं पैदा कर
कौसर के चश्मे जा-ब-जातसनीम हर आब-ए-रवाँ
कौसर ओ तसनीम है या सलसबीलजल्वे हैं सब तेरे ये बे-क़ाल-ओ-क़ील
बच्चों की प्यास मालिक-ए-कौसर पे शाक़ थीसाक़ी को वर्ना मय की ज़रूरत न जाम की
मोहब्बत डाइरी हरगिज़ नहीं हैजिस में तुम लिक्खो
कौनैन भी मिल जाए तो दामन को न फैलाकौनैन को भूला हुआ अफ़्साना बना दे
बड़े ग़ज़ब का गुलिस्ताँ में जश्न-ए-'ईद हुआकहीं तो बिजलियाँ कौदीं कहीं चिनार जले
मौज-ए-कौसर था तिरा सैल-ए-अदा अपने लिएआब-ए-हैवाँ थी तेरी आब-ओ-हवा अपने लिए
हर नक़्श-ए-क़दम पर है फ़िदा ताज-ए-कयानीहर गाम में है चश्मा-ए-कौसर की रवानी
निज़ाम-ए-कौनैन तेरी आँखों के सुर्ख़ डोरों की थरथराहटफ़रोग़-ए-सद-काएनात तेरी जबीन सीमीं की ज़ौ-फ़िशानी
सजा-सँवार के जिस को हज़ार नाज़ किएउसी पे ख़ालिक़-ए-कौनैन शर्मसार सा है
आब-ए-कौसर है अंग्बीं है येशहद के घूँट पी रहा हूँ मैं
साल की आख़िरी शबमेरे कमरे में किताबों का हुजूम
एक झुलसे हुए एहसास को ठंडक बख़्शूँऔर कौनैन को फिर ज़ौक़-ए-नज़ारा दे दूँ
छिन गया कैफ़-ए-कौसर-अो-तसनीमज़हमत-ए-गिर्या-ओ-बुका बे-सूद
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