aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "raashid zindagii se darte ho"
ज़िंदगी से डरते हो?आदमी से डरते हो
किस से डरते हो कि सब लोग तुम्हारी ही तरहएक से हैं वही आँखें वही चेहरे वही दिल
दाएरे से टूट कर गिर पड़ेंगे अभीऔर हम अपने होने की पादाश में
ज़िंदगी से लड़ते थे ज़िंदगी से डरते थेअख़तरुज़्जमाँ नासिर
तुम अँधेरों से डरते हो लेकिनमैं ख़ुद रौशनी हूँ
या फिर इक पाताल की निचली तह में उतर जा मरते होशायद तुम भी गौतम हो और अपने आप से डरते हो
ख़ुद में खोए हुए सहमे हुए सरगोशी से डरते हुएराहिबों को ये ख़बर हो क्यूँकर
''बस मुर्ग़ी के अंडे से''डरते भी हो किसी से तुम''
डर से लर्ज़ां हूँ कहीं ऐसा न होरक़्स-गह के चोर दरवाज़े से आ कर ज़िंदगी
ज़िंदगी हो गई है बे-तरतीबअब ठिकाने पे कोई चीज़ नहीं
इस से नफ़रत करते हो तुमनाम से इस के डरते हो तुम
बेज़ार हो गई हो बहुत ज़िंदगी से तुमजब बस में कुछ नहीं है तो बेज़ार ही रहो
क्या तुम अपनी ज़िंदगी से मुतमइन हो?हाँ... नहीं हूँ
किस दर्जा ज़िंदगी से बेज़ार हो रहा हैनाचार हो रहा है
ज़िंदगी से ख़ाली हो जाएगीहमारी सुब्हें इस अँधेरे में छुपी हैं
दिल तुम्हें याद करता हैहम ज़िंदगी से बेगाने हो चले हैं
जो मैं ने ज़िंदगी से कशीद कींचाहे अच्छी हो या बुरी
ज़िंदगी से तमाम-तर आरीजैसे माज़ी हो! अहद-ए-रफ़्ता हो
'नाशाद' ज़िंदगी से बेज़ार हो रही हैऐ नित नई बहारो कलियों को गुदगुदाओ
कौन कहता है हम तुम जुदा हो गएज़िंदगी से अचानक ख़फ़ा हो गए
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