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नज़्म
आज हम सब शाद हैं अपना वतन आज़ाद है
हम हैं बुलबुल जिस चमन के वो चमन आज़ाद है
मोहम्मद शफ़ीउद्दीन नय्यर
नज़्म
शह-जहाँ का ताज है दुनिया के सब महलों का शाह
प्यार का ये गीत है क़ल्ब-ए-हज़ीं की भी है आह
अहमद मुजद्ददी असद
नज़्म
इरफ़ान शहूद
नज़्म
यही पूछा है मुझ से कौन हूँ क्या नाम है मेरा
मिरी मंज़िल कहाँ है कौन सा शहर-ए-तमन्ना है
ज़ुबैर रिज़वी
नज़्म
सर-ए-शाम जब सूरज और मेरी आँखें सुर्ख़ हों
तो मैं चाँद के बुलावे पे समुंदर का ख़रोश देखने चली जाती हूँ
किश्वर नाहीद
नज़्म
मेरी तमाम ज़िंदगी मा'रका-हाए-ख़ैर-ओ-शर
मेरी निगाह-ए-अर्श पर मैं कफ़-ए-ख़ाक-ए-ओ-ख़ुद-निगर