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नज़्म
आम है आज मुलाक़ात नहीं फ़र्क़ का काम
वा है आग़ोश-ए-मोहब्बत न सही दीद-ओ-शुनीद
रंगेशवर दयाल सक्सेना सूफ़ी
नज़्म
सौ जल्वे हैं नज़रों से मानिंद-ए-नज़र पिन्हाँ
दा'वा-ए-जहाँ-बीनी ऐ दीदा-वरी क्यों है
असद मुल्तानी
नज़्म
यक-ब-यक दीदा-ए-हैराँ को ये शक होता है
ढल के साँचे में ज़मीं पर उतर आया है सहाब