आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "tab-o-taab"
नज़्म के संबंधित परिणाम "tab-o-taab"
नज़्म
ज़ुल्फ़ की छाँव में आरिज़ की तब-ओ-ताब लिए
लब पे अफ़्सूँ लिए आँखों में मय-ए-नाब लिए
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
सुकूत-आमोज़ तूल-ए-दास्तान-ए-दर्द है वर्ना
ज़बाँ भी है हमारे मुँह में और ताब-ए-सुख़न भी है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
गर इश्क़ किया है तब क्या है क्यूँ शाद नहीं आबाद नहीं
जो जान लिए बिन टल न सके ये ऐसी भी उफ़्ताद नहीं
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
तौसन-ए-तब-ए-रसा के पाँव में कुछ लंग है
लेकिन इस सूरत में चुप रहना भी वज्ह-ए-नंग है
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
ताब नहीं हर एक से पूछें बाबा तुझ पर क्या गुज़री
एक को रोक के पूछा हम ने, सीना उस का बरयाँ था
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
गिरामी-क़द्र भी ज़ी-तमकनत भी मोहतरम भी हैं
तब-व-ताब-ए-चमन भी ज़ौक़-ए-तमकीन-ए-बहाराँ भी
मसूद अख़्तर जमाल
नज़्म
जिन में सुर्ख़ी दिल-ए-पुर-ख़ूँ की न सोज़ ओ तब-ओ-ताब
पर कोई नर्म सा जब राग सुना देते हैं