aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "thak"
रातों को चलने वाले रह जाएँ थक के जिस दमउम्मीद उन की मेरा टूटा हुआ दिया हो
वो कोहकन तो नहीं था लेकिनकड़ी चटानों से लड़ चुका है
थक जाओगीकाँच से नाज़ुक ख़्वाब तुम्हारे
और हद से गुज़र जाएगा अंदोह-ए-निहानीथक जाएँगी तरसी हुई नाकाम निगाहें
मैं जब भीदूसरों के और अपने झूट से थक कर
तुम ने मुझ को छोड़ा था जिस शहर में आ करवक़्त का अब वो शहर भी मुझ से छूट रहा है
देखो कितने थक से गए होकितनी थकन आँखों में घुली है
उम्रों की मसाफ़त सेथक-हार गए आख़िर
मैं कि दो रोज़ का मेहमान तिरे शहर में थाअब चला हूँ तो कोई फ़ैसला कर भी न सका
अभी तलक मिरी तन्हाइयों में बस्ती हैंतवील रातें अभी तक तवील हैं प्यारी
अपने बिस्तर से उठता हूँ मुँह धोता हूँलाया था कल जो डबल-रोटी
लोग क्यों रात को उठ के रोते हैं सोते नहींतू ने अब तक कोई शब अगर जागते भी गुज़ारी
मुद्दतें बीत गईंतुम नहीं आईं अब तक
मैं इस मेले में चल कर थक गया हूँअपने काँधे पर बिठा लो
जोहद-ए-हस्ती की कड़ी धूप में थक जाने परजिस की आग़ोश ने बख़्शा है मुझे माँ का ख़ुलूस
दूर उफ़ुक़ तक घटती बढ़ती उठती रहती हैकोहर की सूरत बे-रौनक़ दर्दों की गदली लहर
तुझ से हैं सब तुझ सा नहीं कोईजोत है तेरी जल और थल में
नज़्म से मुझ तकअब कोसों लम्बी दूरी है
तुझे खोजते खोजते थक गए हैंहवा उस से कहना
शाहीं कभी परवाज़ से थक कर नहीं गिरतापुर-दम है अगर तू तो नहीं ख़तरा-ए-उफ़्ताद
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