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नज़्म
ज़ख़्म-ए-नज़्ज़ारा लिए आँखों में चुप तकता रहा
गो मिरी नींदें भी मुझ से ले उड़ीं शहनाइयाँ
अहमद फ़राज़
नज़्म
जिस के चेहरे पे नज़र आए ख़ुदा का परतव
जिस की आँखों में चमकती हो फ़क़त प्यार की लौ