aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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दिन-भर कॉफ़ी-हाउस में बैठे कुछ दुबले-पतले नक़्क़ादबहस यही करते रहते हैं सुस्त अदब की है रफ़्तार
दिल से जो बात निकलती है असर रखती हैपर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है
नहीं मालूम 'ज़रयून' अब तुम्हारी उम्र क्या होगीवो किन ख़्वाबों से जाने आश्ना ना-आश्ना होगी
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