aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शब्दार्थ
है अब इस मामूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त 'असद'
हम ने ये माना कि दिल्ली में रहें खावेंगे क्या
"दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या" ग़ज़ल से की मिर्ज़ा ग़ालिब
Join us for Rekhta Gujarati Utsav | 19th Jan 2025 | Bhavnagar
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