aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शब्दार्थ
शैख़ और बरहमन में अगर लाग है तो हो
दोनों शिकार-ए-ग़म्ज़ा उसी दिल-रुबा के हैं
"इतना तो जानते हैं कि बंदे ख़ुदा के हैं" ग़ज़ल से की इस्माइल मेरठी
Join us for Rekhta Gujarati Utsav | 19th Jan 2025 | Bhavnagar
Register for free