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अली जवाद ज़ैदी

1916 - 2004 | लखनऊ, भारत

प्रसिद्ध शायर और आलोचक, अपनी आलोचना की पुस्तक ‘दो अदबी स्कूल’ के लिए भी जाने जाते हैं

प्रसिद्ध शायर और आलोचक, अपनी आलोचना की पुस्तक ‘दो अदबी स्कूल’ के लिए भी जाने जाते हैं

अली जवाद ज़ैदी

ग़ज़ल 35

नज़्म 2

 

अशआर 27

अब दर्द में वो कैफ़ियत-ए-दर्द नहीं है

आया हूँ जो उस बज़्म-ए-गुल-अफ़्शाँ से गुज़र के

अब वो शोरिश-ए-रफ़्तार वो जोश-ए-जुनूँ

हम कहाँ फँस गए यारान-ए-सुबुक-गाम के साथ

एक तुम्हारी याद ने लाख दिए जलाए हैं

आमद-ए-शब के क़ब्ल भी ख़त्म-ए-सहर के बाद भी

मोनिस-ए-शब रफ़ीक़-ए-तन्हाई

दर्द-ए-दिल भी किसी से कम तो नहीं

ये दुश्मनी है साक़ी या दोस्ती है साक़ी

औरों को जाम देना मुझ को दिखा दिखा के

रेखाचित्र 1

 

पुस्तकें 89

ऑडियो 10

आँख कुछ बे-सबब ही नम तो नहीं

उफ़ वो इक हर्फ़-ए-तमन्ना जो हमारे दिल में था

ऐश ही ऐश है न सब ग़म है

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