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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अमीर क़ज़लबाश

1943 - 2003 | दिल्ली, भारत

लोकप्रिय शायर और फि़ल्म गीतकार/प्रेम रोग और राम तेरी गंगा मैली के गीतों के लिए मशहूर

लोकप्रिय शायर और फि़ल्म गीतकार/प्रेम रोग और राम तेरी गंगा मैली के गीतों के लिए मशहूर

अमीर क़ज़लबाश

ग़ज़ल 44

अशआर 41

अपने हमराह ख़ुद चला करना

कौन आएगा मत रुका करना

अब सिपर ढूँड कोई अपने लिए

तीर कम रह गए कमानों में

ख़ाली हाथ निकल घर से

ज़ाद-ए-सफ़र हुश्यारी रख

तुम राह में चुप-चाप खड़े हो तो गए हो

किस किस को बताओगे कि घर क्यूँ नहीं जाते

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मुझ से बच बच के चली है दुनिया

मेरे नज़दीक ख़ुदा हो जैसे

पुस्तकें 7

 

चित्र शायरी 4

 

ऑडियो 20

अपने हमराह ख़ुद चला करना

आँखें खुली हुई हैं तो मंज़र भी आएगा

इक परिंदा अभी उड़ान में है

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