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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Rasa Chughtai's Photo'

रसा चुग़ताई

1928 - 2018 | कराची, पाकिस्तान

रसा चुग़ताई

ग़ज़ल 37

अशआर 34

इस घर की सारी दीवारें शीशे की हैं

लेकिन इस घर का मालिक ख़ुद इक पत्थर है

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बहुत दिनों से कोई हादसा नहीं गुज़रा

कहीं ज़माने को हम याद फिर जाएँ

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शेर-ओ-सुख़न का शहर नहीं ये शहर-ए-इज़्ज़त-ए-दारां है

तुम तो 'रसा' बद-नाम हुए क्यूँ औरों को बद-नाम करूँ

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सिर्फ़ माने थी हया बंद-ए-क़बा खुलने तलक

फिर तो वो जान-ए-हया ऐसा खुला ऐसा खुला

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हम किसी को गवाह क्या करते

इस खुले आसमान के आगे

पुस्तकें 7

 

चित्र शायरी 4

 

वीडियो 21

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

रसा चुग़ताई

रसा चुग़ताई

रसा चुग़ताई

रसा चुग़ताई

रसा चुग़ताई

रसा चुग़ताई

रसा चुग़ताई

रसा चुग़ताई

Reciting own poetry

रसा चुग़ताई

सर उठाया तो सर रहेगा क्या

रसा चुग़ताई

कहाँ जाते हैं आगे शहर-ए-जाँ से

रसा चुग़ताई

ख़्वाब उस के हैं जो चुरा ले जाए

रसा चुग़ताई

जब भी तेरी यादों का सिलसिला सा चलता है

रसा चुग़ताई

निकल कर साया-ए-अब्र-ए-रवाँ से

रसा चुग़ताई

मैं ने सोचा था इस अजनबी शहर में ज़िंदगी चलते-फिरते गुज़र जाएगी

रसा चुग़ताई

'मीर'-जी से अगर इरादत है

रसा चुग़ताई

मोहब्बत ख़ब्त है या वसवसा है

रसा चुग़ताई

सर उठाया तो सर रहेगा क्या

रसा चुग़ताई

है लेकिन अजनबी ऐसा नहीं है

रसा चुग़ताई

ऑडियो 10

अपनी बे-चेहरगी में पत्थर था

इस से पहले नज़र नहीं आया

ज़िंदगी के सराब भी देखूँ

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