चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय
नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है
शहाब जाफ़री प्रगतिवादी विचारधारा के अनुयायी शायरों में से थे। 2 जून 1930 को बनारस में पैदा हुए। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की। कई जगहों पर उर्दू के उस्ताद रहे। शायरी के साथ थियेटर से भी सम्बद्ध रहे। उन्होंने मुहम्मद हसन के साथ लम्बे अर्से तक काम किया। 1967 में ‘सूरज’ के नाम से उनका काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ