दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के उस्उताद म्मीद अली ख़ान
बड़ा कठिन है रास्ता जो आ सको तो साथ दो उस्उताद म्मीद अली ख़ान
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई उस्उताद म्मीद अली ख़ान
तुम आए हो न शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है उस्उताद म्मीद अली ख़ान
तिरे ग़म को जाँ की तलाश थी तिरे जाँ-निसार चले गए उस्उताद म्मीद अली ख़ान
मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए उस्उताद म्मीद अली ख़ान
मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए उस्उताद म्मीद अली ख़ान
ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया उस्उताद म्मीद अली ख़ान
Recitation
join rekhta family!
You have exhausted 5 free content pages per year. Register and enjoy UNLIMITED access to the whole universe of Urdu Poetry, Rare Books, Language Learning, Sufi Mysticism, and more.