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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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आतिश बहावलपुरी

1915 - 1993 | सोनीपत, भारत

हरियाणा से सम्बन्ध रखने वाले शायर और पत्रकार. साप्ताहिक ‘पैग़ाम’ के सम्पादक

हरियाणा से सम्बन्ध रखने वाले शायर और पत्रकार. साप्ताहिक ‘पैग़ाम’ के सम्पादक

आतिश बहावलपुरी

ग़ज़ल 11

अशआर 16

मस्लहत का यही तक़ाज़ा है

वो मानें तो मान जाओ तुम

उमीद उन से वफ़ा की तो ख़ैर क्या कीजे

जफ़ा भी करते नहीं वो कभी जफ़ा की तरह

अपने चेहरे से जो ज़ुल्फ़ों को हटाया उस ने

देख ली शाम ने ताबिंदा सहर की सूरत

गिला मुझ से था या मेरी वफ़ा से

मिरी महफ़िल से क्यूँ बरहम गए वो

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मुझे भी इक सितमगर के करम से

सितम सहने की आदत हो गई है

पुस्तकें 3

 

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