अब्दुल हफ़ीज़ नईमी जिगर मुरादाबादी के शागिर्दों में से थे और नेयाज़ फतेहपुरी के पसंदीदा शायरों में से. इन दो निस्बतों से ही उनकी शायरी के मिज़ाज का अंदाज़ा होजाता है. अब्दुल हफ़ीज़ नईमी ने कई काव्य विधाओं में शायरी की लेकिन हर विधा में उनकी शायरी पर ग़ज़ल का रंग छाया रहा.
अब्दुल हफ़ीज़ नईमी की पैदाइश 15 जनवरी 1911 को कर्गना बस्ती ज़िला पीलीभीत (उ.प्र.) में हुई. आरम्भिक शिक्षा स्थानीय मकतब में प्राप्त की. पीलीभीत के गवर्नमेंट स्कूल से मैट्रिक किया और उच्च शिक्षा के लिए अलीगढ़ आगये. यहाँ से एल.एल.बी. की सनद हासिल की और वकालत का पेशा अपनाया.
नईमी के काव्य संग्रह ‘नज्मे दरख्शां,’ ‘मर्सीया उन्दुलुस,’ ‘महराबे गुल,’ ‘रौज़न-ए-ख़्वाब’ के नाम से प्रकाशित हुए. नईमी ने नेयाज़ फतेहपुरी के तारीख़ और रुमान के मिली-जुली कल्पना से कई कहानियां भी लिखीं. उनकी गद्य की किताबें ‘सरशारे मुहब्बत,’ ‘हुस्ने मानूम,’ ‘नादीदा मुहब्बत,’ ‘पुर असरार दोशीज़ा’ के नाम से प्रकाशित हुईं.