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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अब्दुल मतीन नियाज़

1929 | भोपाल, भारत

60 के दशक में उभरने वाले अहम शायरों में शामिल, गहरी समझ और घोर भावनात्मक रवय्ये की शायरी करने के लिए प्रसिद्ध

60 के दशक में उभरने वाले अहम शायरों में शामिल, गहरी समझ और घोर भावनात्मक रवय्ये की शायरी करने के लिए प्रसिद्ध

अब्दुल मतीन नियाज़

ग़ज़ल 25

नज़्म 10

अशआर 10

लोगों को अपनी फ़िक्र है लेकिन मुझे नदीम

बज़्म-ए-हयात-ओ-नज़्म-ए-गुलिस्ताँ की फ़िक्र है

दिल ने हर दौर में दुनिया से बग़ावत की है

दिल से तुम रस्म-ओ-रिवायात की बातें करो

वक़्त मोहलत देगा फिर तुम को

तीर जिस दम कमान से निकला

हम-नफ़स ख़्वाब-ए-जुनूँ की कोई ता'बीर देख

रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर देख

अल्फ़ाज़ मदह-ख़्वाँ थे क़लम थे बिके हुए

कैसे तराश लेते कोई शाह-कार हम

पुस्तकें 9

 

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