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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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आफ़ताब हुसैन

1962 | ऑस्ट्रिया

विख्यात पाकिस्तानी शायर, ऑस्ट्रिया में प्रवास, संजीदा शायरी पसंद करने वालों में प्रतिष्ठित।

विख्यात पाकिस्तानी शायर, ऑस्ट्रिया में प्रवास, संजीदा शायरी पसंद करने वालों में प्रतिष्ठित।

आफ़ताब हुसैन

ग़ज़ल 36

अशआर 41

वो यूँ मिला था कि जैसे कभी बिछड़ेगा

वो यूँ गया कि कभी लौट कर नहीं आया

कुछ और तरह की मुश्किल में डालने के लिए

मैं अपनी ज़िंदगी आसान करने वाला हूँ

लोग किस किस तरह से ज़िंदा हैं

हमें मरने का भी सलीक़ा नहीं

अभी दिलों की तनाबों में सख़्तियाँ हैं बहुत

अभी हमारी दुआ में असर नहीं आया

हाल हमारा पूछने वाले

क्या बतलाएँ सब अच्छा है

पुस्तकें 7

 

ऑडियो 15

अपना दीवाना बना कर ले जाए

अस्ल हालत का बयाँ ज़ाहिर के साँचों में नहीं

कभी जो रास्ता हमवार करने लगता हूँ

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