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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Aftab Shah Alam Sani's Photo'

आफ़ताब शाह आलम सानी

1728 - 1806 | दिल्ली, भारत

मुग़ल बादशाह जिन्होंने लाल क़िले और अपने दरबार में उर्दू शायरी का सिलसिला शुरू किया

मुग़ल बादशाह जिन्होंने लाल क़िले और अपने दरबार में उर्दू शायरी का सिलसिला शुरू किया

आफ़ताब शाह आलम सानी

ग़ज़ल 8

अशआर 2

घर ग़ैर के जो यार मिरा रात से गया

जी सीने से निकल गया दिल हात से गया

या साल माह था तू मिरे साथ या तो अब

बरसों में एक दिन की मुलाक़ात से गया

 

पुस्तकें 4

 

ऑडियो 5

आजिज़ हूँ तिरे हाथ से क्या काम करूँ मैं

गो सुध नहीं उस शोख़ सितमगर ने सँभाली

घर ग़ैर के जो यार मिरा रात से गया

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