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Akbar Allahabadi's Photo'

अकबर इलाहाबादी

1846 - 1921 | इलाहाबाद, भारत

उर्दू में हास्य-व्यंग के सबसे बड़े शायर , इलाहाबाद में सेशन जज थे।

उर्दू में हास्य-व्यंग के सबसे बड़े शायर , इलाहाबाद में सेशन जज थे।

अकबर इलाहाबादी के ऑडियो

ग़ज़ल

आँखें मुझे तलवों से वो मलने नहीं देते

नोमान शौक़

ख़त्म किया सबा ने रक़्स गुल पे निसार हो चुकी

नोमान शौक़

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ

नोमान शौक़

दिल मिरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला

नोमान शौक़

न रूह-ए-मज़हब न क़ल्ब-ए-आरिफ़ न शाइ'राना ज़बान बाक़ी

नोमान शौक़

फिर गई आप की दो दिन में तबीअ'त कैसी

नोमान शौक़

वो हवा न रही वो चमन न रहा वो गली न रही वो हसीं न रहे

नोमान शौक़

शेख़ ने नाक़ूस के सुर में जो ख़ुद ही तान ली

नोमान शौक़

साँस लेते हुए भी डरता हूँ

नोमान शौक़

हवा-ए-शब भी है अम्बर-अफ़्शाँ उरूज भी है मह-ए-मुबीं का

नोमान शौक़

क्या जानिए सय्यद थे हक़ आगाह कहाँ तक

फ़सीह अकमल

ख़ुशी क्या हो जो मेरी बात वो बुत मान जाता है

फ़सीह अकमल

ग़म्ज़ा नहीं होता कि इशारा नहीं होता

फ़सीह अकमल

चर्ख़ से कुछ उमीद थी ही नहीं

फ़सीह अकमल

जहाँ में हाल मिरा इस क़दर ज़बून हुआ

फ़सीह अकमल

जो तुम्हारे लब-ए-जाँ-बख़्श का शैदा होगा

फ़सीह अकमल

न बहते अश्क तो तासीर में सिवा होते

फ़सीह अकमल

बहुत रहा है कभी लुत्फ़-ए-यार हम पर भी

फ़सीह अकमल

सदियों फ़िलासफ़ी की चुनाँ और चुनीं रही

फ़सीह अकमल

नज़्म

नई तहज़ीब

फ़सीह अकमल

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