Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Akhtar Bastavi's Photo'

अख़तर बस्तवी

1940 - 1998 | गोरखपुर, भारत

शायर और गद्यकार, अपने क़तआत और लम्बी नज़्मों के लिए विख्यात

शायर और गद्यकार, अपने क़तआत और लम्बी नज़्मों के लिए विख्यात

अख़तर बस्तवी

ग़ज़ल 3

 

नज़्म 49

अशआर 3

आसाँ नहीं इंसाफ़ की ज़ंजीर हिलाना

दुनिया को जहाँगीर का दरबार समझो

बरसों से इस में फल नहीं आए तो क्या हुआ

साया तो अब भी सहन के कोहना शजर में है

  • शेयर कीजिए

कीजिए किस किस से आख़िर ना-शनासी का गिला

जब किसी ने भी निगाह-ए-मो'तबर डाली नहीं

  • शेयर कीजिए
 

क़ितआ 10

पुस्तकें 19

"गोरखपुर" के और लेखक

 

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए