उपनाम : 'अख़्तर'
मूल नाम : अख़्तर सईद ख़ान
जन्म : 12 Oct 1923 | भोपाल, मध्य प्रदेश
निधन : 10 Sep 2006
आ कि मैं देख लूँ खोया हुआ चेहरा अपना
मुझ से छुप कर मिरी तस्वीर बनाने वाले
अख़्तर सईद खां 12 अक्टूबर 1930 को भोपाल में पैदा हुए. वंशतः वह अफ़ग़ानी हैं. उनके दादा अहमद सईद खां रियासत भोपाल के जागीरदारों में शामिल थे और शाइरों व अदीबों के क़द्रदान थे. घर के इस शैक्षिक और साहित्यिक माहौल ने अख़्तर को भी शाइरी की तरफ़ उन्मुख कर दिया और बहुत छोटी उम्र में शाइरी शुरू कर दी. आरम्भिक शिक्षा मिडिल स्कूल रायसेन रियासत भोपाल में प्राप्त की. 1940 में पंजाब यूनिवर्सिटी से मैट्रिक पास किया और दयाल सिंह कालेज लाहौर से 1944 में बी.ए. किया. 1946 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की और वकालत का पेशा अपनाया.
अख़्तर सईद की शाइरी पारंपरिक और प्रगतिवादी विचारधारा के सामंजस्य का एक उत्कृष्ट नमूना है. अख़्तर सईद खां ने नज़्में भी कही हैं मगर नज़्मगोई से उन्हें रचनात्मक सन्तुष्टि नहीँ मिली, इसलिए उन्होंने सिर्फ़ ग़ज़ल को अपनी सृजनात्मक अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया. 1976 में अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखकसंघ के सचिव भी रहे. ‘निगाह’, ‘तर्ज़े दवाम’, ‘सोच के नाम सफ़र’ उनके काव्य संग्रह हैं.