अल्ताफ़ मशहदी के शेर
पी के जीते हैं जी के पीते हैं
हम को रग़बत है ऐसे जीने से
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टैग : मय-कशी
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टपके जो अश्क वलवले शादाब हो गए
कितने अजीब इश्क़ के आदाब हो गए
फिर दयार-ए-हिन्द को आबाद करने के लिए
झूम कर उट्ठो वतन आज़ाद करने के लिए
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