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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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आमिर उस्मानी

1920 - 1975 | सहारनपुर, भारत

प्रमुख गद्यकार, व्यंग्यकार और शायर

प्रमुख गद्यकार, व्यंग्यकार और शायर

आमिर उस्मानी

ग़ज़ल 8

नज़्म 3

 

अशआर 14

चंद अल्फ़ाज़ के मोती हैं मिरे दामन में

है मगर तेरी मोहब्बत का तक़ाज़ा कुछ और

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बाक़ी ही क्या रहा है तुझे माँगने के बाद

बस इक दुआ में छूट गए हर दुआ से हम

आबलों का शिकवा क्या ठोकरों का ग़म कैसा

आदमी मोहब्बत में सब को भूल जाता है

इश्क़ के मराहिल में वो भी वक़्त आता है

आफ़तें बरसती हैं दिल सुकून पाता है

सबक़ मिला है ये अपनों का तजरबा कर के

वो लोग फिर भी ग़नीमत हैं जो पराए हैं

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क़ितआ 13

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