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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Arshad Kakvi's Photo'

अरशद काकवी

1930 - 1963 | पटना, भारत

अरशद काकवी के शेर

हँसने दे रोने दे जीने दे मरने दे

इसी को ईस्तलाहन हम ज़माना कहते आए हैं

जाने शब को क्या सूझी थी रिंदों को समझाने आए

सुबह को सारे मय-कश उन को मस्जिद तक पहुँचाने आए

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