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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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असअ'द बदायुनी

1958 - 2003 | अलीगढ़, भारत

प्रख्यात उत्तर-आधुनिक शायर, साहित्यिक पत्रिका दायरे के संपादक।

प्रख्यात उत्तर-आधुनिक शायर, साहित्यिक पत्रिका दायरे के संपादक।

असअ'द बदायुनी

ग़ज़ल 80

नज़्म 6

अशआर 32

देखने के लिए सारा आलम भी कम

चाहने के लिए एक चेहरा बहुत

सब इक चराग़ के परवाने होना चाहते हैं

अजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं

मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदर

आदमी हूँ सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर

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बिछड़ के तुझ से किसी दूसरे पे मरना है

ये तजरबा भी इसी ज़िंदगी में करना है

गाँव की आँख से बस्ती की नज़र से देखा

एक ही रंग है दुनिया को जिधर से देखा

पुस्तकें 16

ऑडियो 20

अजब दिन थे कि इन आँखों में कोई ख़्वाब रहता था

अभी ज़मीन को सौदा बहुत सरों का है

कहते हैं लोग शहर तो ये भी ख़ुदा का है

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