अशहर हाशमी
ग़ज़ल 7
अशआर 7
उस से मिलने की तलब में जी लिए कुछ और दिन
वो भी ख़ुद बीते दिनों से बर-सर-ए-पैकार थी
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere