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अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

1725/6 - 1772 | दिल्ली, भारत

18 वीं सदी के प्रमुख शायरों में शामिल / मीर तक़ी मीर के समकालीन

18 वीं सदी के प्रमुख शायरों में शामिल / मीर तक़ी मीर के समकालीन

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ के ऑडियो

ग़ज़ल

अक्स भी कब शब-ए-हिज्राँ का तमाशाई है

फ़सीह अकमल

अगर आशिक़ कोई पैदा न होता

फ़सीह अकमल

आलम में अगर इश्क़ का बाज़ार न होता

फ़सीह अकमल

इस जौर ओ जफ़ा से तिरे ज़िन्हार न टूटे

फ़सीह अकमल

उठ चुका दिल मिरा ज़माने से

फ़सीह अकमल

ऐ तजल्ली क्या हुआ शेवा तिरी तकरार का

फ़सीह अकमल

ख़ून आँखों से निकलता ही रहा

फ़सीह अकमल

डरता हूँ मोहब्बत में मिरा नाम न होवे

फ़सीह अकमल

देखिए ख़ाक में मजनूँ की असर है कि नहीं

फ़सीह अकमल

हैफ़ दिल में तिरे वफ़ा न हुई

फ़सीह अकमल

हरगिज़ मिरा वहशी न हुआ राम किसी का

फ़सीह अकमल

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